करवा चौथ में कर्वे और सरगी का महत्व | Significance of Sargi in Karva Chauth in Hindi

करवा चौथ स्त्रियो का मुख्य त्यौहार है| यह व्रत सुहागने अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखते है| करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने की कृष्णा चतुर्थी को मनाया जाता है| यह शरद पूर्णिमा के बाद आने वाली चौथ होती है| इसी को चतुर्थी कहा जाता है| यह व्रत हर महिला अपने अपने रीती-रिवाजो के अनुसार रखती है| यह व्रत निर्जला होता है| पूरा दिन कुछ भी नहीं खाना होता| रात को जब चाँद निकल आए तो चाँद को अर्घ देकर ही खोलना होता है| लेकिन अपने अपने रीती रिवाजो के अनुसार कुछ लोग सुबह सरगी खा लेते है| आज कल यह व्रत कुवारी लड़किया भी अपने अच्छे पति की प्राप्ति के लिए रखती है|

कर्वे और सरगी का महत्व | Karva Chauth
करवा चौथ में कर्वे का महत्व: करवा चौथ में कर्वे का बहुत महत्व होता है| कर्वे का अर्थ मिटटी से बना हुआ बर्तन होता है जिस में गेहूं रखी जाती है और “चौथ का अर्थ होता है चौथा दिन| करवा चौथ को कृष्णा पक्ष के चौथे दिन (चतुर्थी) को मनाया जाता है| करवा चौथ के कुछ दिन पहले औरते मिटटी के गोला आकर के बर्तनो को खरीदती है| इसको वह बहुत सुंदर प्रकार से सजाती है| इसमें वह अपनी मिठाईया, फल, सिंदूर, चूड़िया, परांदा, कपड़े, मेवे, और अपनी सजावट के समान को रखती है| और शाम को एक-दूसरे से मिलती है और एक दूसरे की देती है|

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि: सूर्यदय से पहले उठ कर स्नान करके अपनी सास द्वारा भेजी हुई सरगी खाएं| सरगी में सेवई, पूरी, मिठाई, मेवे आदि साज-सिंगार का समान दिया जाता है| सरगी खाने के बाद आप दूध पी सकते है | पानी नहीं पीना होता| सरगी के बाद आपका निर्जला व्रत शुरू हो जाता है| इस दिन भगवान शिव, माँ पार्वती और गणेश जी का ध्यान सारा दिन अपने मन में करे| दिवार पे गेरू से फलक बनाकर पीसे हुए चावलों के घोल से करवा चित्रित करे| इसी चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है| यह परम्परा बहुत पुरानी है|इस दिन करवा चौथ का चित्र या करवा चौथ का क्लेंडर दिवार पे लगा ले| इस दिन आठ पुरिया अठावरी के लिए बनाये| कुछ लोग इस दिन पीली मिटटी से माँ गोरी और भगवन गणेश जी बनाते है| माँ गोरी को लकड़ी के शिगासन पे बिठाए और उन्हें लाल रंग की चुनरी पहना कर उनका सिंगार करके उनसे सुहाग लिया जाता है और फिर कहानी सुनी जाती है| इस दिन सुहाग की चीजे जैसे सिंधुर,कंघी,सूट,साडी,मिठाईए,फल,फूल,मेवे,आदि सास को देने चाहिए और उनके पैर चुने चाहिए| कुछ इलाको में स्त्रिया आपस में करवा बदलती है| हर क्षेत्र में पूजा करने का विदान और परम्परा अलग-अलग होती है| इसके बाद फिर कहानी या कथा सुने| कथा सुनने के बाद वरिष्ठ लोगो के चरण स्पर्श करे| फिर रात को जब चाँद निकले तो चाँद को अर्घ देकर पति का आशीर्वाद लेकर भोजन ग्रहण करे|

सरगी: करवा चौथ में सरगी का बहुत ही विशेष महत्व होता है| इस दिन घर की बड़ी बजुर्ग औरते जैसे हमारी सास अपनी बहु को सरगी देते है| सरगी में दूध, फेनी, सेवई, मेवे ,दूध से बने पदार्थ आदि होते है| सरगी का टाइम तीन-चार बजे के बीच का होता है| जो लोग पहली बार व्रत रखती है उनके लिए सरगी मायके से आती है| कुछ इलाको में अपनी अपनी परम्परा के अनुसार कुछ लोग सात-या ग्यारा तरह के पकवान बनाते है या खाते है| जैसे बादाम, काजू, किशमिश, मिश्री, मेवे, फल, दूध, सेवई, परांठे, मठरी, अंजीर आदि| यह सरगी सास द्वारा भेजी जाती है अगर सास घर पे हो तो यह सरगी सास द्वारा त्यार की जाती है| कुछ लोग कर्वे में साज-सिंगार चुडिया, बिंदी,मिठाईए, कपड़े, मेवे कुछ दक्षणा आदि रखते है और पूज के अपनी सास को देते है|फिर शाम के समय महिलाए नए सूंदर कपड़े पहन कर, साज सिंगार करके, गहने पहन कर त्यार होती है| कुछ लोग अपनी शादी वाले कपड़े पहनते है| इस दिन लाल रंग को शुभ मन जाता है| यह त्यौहार का उदेश गीत गा कर बताया जाता है| गीत गा कर रूठे हुए को मनाने और सोये हुए को जगाने का संदेश दिया जाता है|

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