गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को ही गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है| गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु थे| इनका जन्म राइ भोय की तलवंडी (ननकाना साहिब) में हुआ था जो आज-कल पाकिस्तान में है| इनके जन्म-दिवस को प्रकाश उत्स्व भी कहते है| यह कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर मनाया जाता है| सिख श्रद्धालु इस दिन को बहुत धूम-धाम से मनाते है| यह उनके लिए दिवाली जैसा ही पर्व होता है| इस दिन गुरद्वारों में शब्द-कीर्तन किये जाते है| जगह-जगह लंगरों का आयोजन किया जाता है और गुरबाणी का पाठ भी किया जाता है| गुरु नानक एक समन्यवादी संत थे| वह आजीवन परोपकार और दीन दुखियो के सेवा में लगे रहे|
जीवन परिचय: गुरु नानक देव जी का प्रकाश ऐसे समय में हुआ था जब देश इतिहास के सबसे अँधेरे युगों में था| उस समय अंद्विश्वाश और आडंबरो का बोल-बाला था| धार्मिक कटरता बहुत तेजी से बढ़ रही थी| श्री गुरु नानक देव जी संत कवि और महान समाज सुदारक थे| गुरु नानक देव जी के पिता का नाम कालू चंद बेदी और माता जी का नाम तृप्ता जी था| इनकी एक बड़ी बहन भी थी और उनका नाम बेबे नानकी जी था| बचपन से ही इनका मन आद्यात्मिक भावों से जुड़ा रहता था| पंडित और मौलवी सभी नानक देव जी की विद्व्ता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके| पत्नी सुखमणि से उन्हें दो पुत्र भी हुए थे लेकिन गुरु नानक जी का मन कभी ग्रस्ति जीवन में न लगा वह मानव सेवा ही करते रहे| वह कहते थे:-
की परमात्मा एक है| सदैव उसकी उपासना करो| वह सभी जगह और सभी में मुजूद है| उस ईश्वर की भगति करने वालो को किसी का भय नहीं होता| मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके जरुरतमंदो की कुछ सहायता करो| वह कहते थे सभी स्त्री और पुरष बराबर है|
गुरु नानक देव जी के विचार सिद्धांत:– गुरु नानक देव जी के उपदेश और शिक्षाए आज भी उनके अनुयायियों के लिए जीवन का आधार है| उनके दिए गए सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है| उन्होंने लोगो को समझाया कि सभी इंसान एक दूसरे के भाई-भाई है| ईश्वर सभी का है|
अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे एक नूर तेसब जग उपज्या, कौन भले को मंदे| एक पिता कि संतान होने के बाद हम ऊंचे-नीचे कैसे हो सकते है| पाँच सो वर्ष पर्व दिए गए उनके उपदेशो का प्रकाश आज भी मानवता का आलोकित कर रहा है| गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक रहे| वह मानव धर्म के उत्थापक और सिखों के गुरु थे| गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षा से मानवता और प्रेम की एकाग्रता उतपन की|
गुरु नानक जयंती महत्व: गुरु नानक जयंती बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है| गुरु पर्व के अवसर पर सभी तरफ महोत्स्व जैसा माहौल बना रहता है| गुरद्वारों में विशेष आयोजन होता है| पूजा अर्चना की जाती है|जलूस एवं शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं. इस जुलूस में हाथी, घोड़ों आदि के साथ नानकदेव के जीवन से संबंधित सुसज्जित झांकियां बैंड-बाजों के साथ निकाली जाती हैं. गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन, सत्संग, प्रवचन के साथ-साथ लंगर का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं. सिखों के पहले गुरु नानकदेवजी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना।
सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानकदेवजी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विशाल नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस दौरान पंज (पांच) प्यारे नगर कीर्तन की अगुवाई करते हैं। श्री गुरुग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर सुशोभित करके कीर्तन विभिन्न जगहों से होता हुआ गुरुद्वारे पहुंचता है। प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें भारी संख्या में संगतें भाग लेती हैं। प्रभातफेरी के दौरान कीर्तनी जत्थे कीर्तन कर संगत को निहाल करते हैं।
इस अवसर पर गुरुद्वारे के सेवादार संगत को गुरु नानकदेवजी के बताए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कहते हैं कि श्री गुरु नानकदेव महाराज महान युगपुरुष थे। नानकदेवजी ने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में समर्पित कर दिया। ऐसे महान युगपुरुष की आज के समय में बहुत जरूरत है।
भगवान एक है। एक ही गुरु है और कोई नहीं। जहां गुरु जाते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है। भगवान को याद करने, मेहनत से कमाई करने और उसके बाद बांट के खाने का संदेश दुनियाभर में देने वाले ऐसे ही गुरु को सिख समुदाय उनकी जयंती पर याद करता है।
एक ओर जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, वहीं गुरु का प्रसाद लंगर भी बांटा जाता है। साथ ही गुरु नानकदेवजी पर आधारित पोस्टर जारी किए जाते हैं। अपनी परंपरानुसार प्रभातफेरी में शामिल स्त्री-पुरुष सफेद वस्त्र एवं केसरिया चुन्नी धारण कर गुरुवाणी का गायन करते हुए चलते हैं। सभी जत्थों का जगह-जगह पर हार-फूल से स्वागत किया जाता है। शाम को दीवान सजाकर शबद कीर्तन का कार्यक्रम भी किया जाता है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। गुरु नानकदेवजी का प्रकाश पर्व सिख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है।