दिवाली के त्यौहार का ऐतिहासिक महत्व | Historical and Spiritual Significance of Diwali in Hindi

दिवाली रोशनी और प्रकाश का त्यौहार है| आप में से हर कोई अपने आप में एक प्रकाश है| यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है| इस दिन लोग एक दूसरे को शुभ कामनाएं देते है और मिठाइएं बांटते है| दिवाली के समय हम अतीत के सभी दुःख भूल जाते है| पटाखों की तरह अतीत भी चला जाता है| भारत में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों में से दिवाली का त्यौहार समाजिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से अत्यधिक महत्व वाला है| इसे दीपोत्सव भी कहते हैं| दशहरा के बाद ही इसकी त्यारियां शुरू हो जाती है| लोग नए कपड़े खरीदते हैं| घरो की सफाई करते है, घरो को अच्छे से सजाने लगते है| बजारो में दुकानों में बहुत भीड़ होती है| इस दिन लोग अपने घरों में कई तरह के पकवान बनाते है| इस दिन अपने रिश्तेदारों को दोस्तों और मित्रो को मिठाईए देते है| शाम को माँ लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है| पूजा के बाद अपने घर में दीपमाला की जाती है| फिर अपने घर को दीपो या मोमबत्तियों से सजाते है| फिर पटाखे चलाये जाते हैं| इस दिन लोग अपने गाय-बैलों को सजाते है| उनके गोबर को पर्वत बना कर पूजा करते है| सभी जगह बहुत पीढ़ियों से यह त्यौहार चला आ रहा है| दिवाली के दिन लोगो में बहुत उमंग होती है| दिवाली को कार्तिक महीने में नए चन्द्र्मा के दिन मनाया जाने वाला त्यौहार भी कहा जाता है| दिवाली आद्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य, और बुराई पर अच्छाई का उत्स्व है|

दिवाली का ऐतिहासिक महत्व | History of Diwali

दिवाली का ऐतिहासिक महत्व |  Historical and Spiritual Significance of Diwali:

दिवाली का वर्णन प्राचीन ग्रंथो में मिलता है| दिवाली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी है जो इतिहास के पन्नो में अपना विशेष स्थान बना चुके है| इसका अपना एक ऐतिहासिक महत्व है| जिस कारण यह त्यौहार किसी खास समूह का न होकर पुरे राष्ट्र का हो गया है| धर्म की दृष्टि से दिवाली के त्यौहार का ऐतिहासिक महत्व है| अनेक धार्मिक ग्रंथ हमे दिवाली का इतिहास बताते है|

हिन्दू धर्म के लोगों के लिए दिवाली का त्यौहार संस्कृत,धार्मिक और अत्यादमिक त्यौहार है| इस दिन श्री राम चंद्र जी 14 साल का बनवास काट के रावण को मार कर अयोध्या वापिस आये थे|अयोध्या में राम जी के वापिस लौटने की ख़ुशी में लोगो ने अपने अपने घरो को दीपों से सजाया था| घर-घर जा कर मिठाईए भी बांटी थी| इस लिए इस लिए लोग इस परम्परा को आज भी निभाते है| दिवाली के इतिहास का सम्बन्ध भगवान कृष्ण जी से भी है| इस दिन भगवान कृष्ण जी ने नर्कासुर का वध किया था| नकारसुर को भगवन विष्णु से लम्बे समय तक जीवित रहने का वरदान प्राप्त था| इस लिए उसने लोगो में उत्पाद मचाना शुरू कर दिया और औरतो पे हमले करने लगा| इस लिए कृष्ण जी ने उसका वध किया और बुराई पे जीत हासिल की|

सिख धर्म में भी दिवाली का बहुत महत्व है| सिख धर्म में इसको बंदी छोड़ दिवस भी कहा जाता है| इस दिन सिखों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी 52 हिन्दू कैदियो समेत ग्वालियर के किले से रिहा हो कर आए थे| जब जहाँगीर ने गुरु हरगोबिंद जी को चोर्ने के लिए कहा तो गुरु जी ने कहा की हम अन्य बंदी राजकुमारों के बिना नहीं जायगे| तो चलाक जहाँगीर ने कहा की उन्ही बंदियों को छोरा जायगा जिन्होंने गुरु को पकड़ के रखा होगा| तब गुरु जी ने 52 कलियों का कुरता पहना और इक-इक कली सभी बंदियों ने पकड़ी और गुरु जी अपने साथ ५२ कैदियों को अपने साथ रिहा करा के लाये| इस लिए इस दिन सीखो ने घर घर पर दीपमाला की मिठाईया बांटी| इस दिन स्वर्ण मंदिर को भी सजाया| इसी दिन ही स्वर्णमंदिर की आधारशिला रखी गयी थी| इस लिए यह त्यौहार आज भी बहुत अच्छे से मनाया जाता है|

जैन धर्म में दिवाली का महत्व इस लिए है क्यों की इस दिन अंतिम जैन तीर्थकर भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था| भगवन महावीर ने उन देवताओं की उपस्तिथि में निर्वाण पाया था जिन्होंने उनके जीवन के अंधकार को दूर किया था| इसी दिन स्वामी गौतम जी ने भी ज्ञान प्राप्त किया था|

बोद्ध धर्म में भी दिवाली का बहुत महत्व है| इस दिन राजा अशोक ने बोद्ध धर्म को अपनाया था| बोद्ध धर्म में इसको विजय दशमी भी कहते है| यह लोग इस दिन अपने मठो को सजाकर और प्राथना कर के यह त्यौहार मनाते है|

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